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शहडोल: बंगवार कोयला खदान खनन पर उठे सवाल! वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप

शहडोल: क्षेत्र के बंगवार भूमिगत कोल खदान से धड़ल्ले से भूमिगत कोयला खनन किया जा रहा है। ये खनन कार्य SECL के द्वारा किया जा रहा है। आरोप है कि इस इलाके में करीब पांच किलोमीटर क्षेत्र से बिना वन विभाग की NOC लिए बिना ही एक बड़े कोयला खनन के काम की अंजाम दे दिया गया है। जिसे जिससे भू-धंसान का डर है। सूत्रों का कहना है कि खनन कार्य SECL ने लीज की तयशुदा सीमा लांघकर की जमीन से कोयला निकाल लिया जिसके लिए SECL ने वन विभाग से NOC लेना उचित नहीं समझा।

कोयला उत्पादन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है बंगवार कोयला खदान

कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) द्वारा वित्तीय वर्ष 2021- 22 के प्रदर्शन के आधार पर कोयला खदानों की स्टार रेटिंग जारी की गई है। कोयला मंत्रालय के अधीन आने वाले कोल कंट्रोलर (Coal Controllers) द्वारा खदानों का आकलन कर अंक प्रदान किए जाते हैं।

एसईसीएल की एकमात्र भूमिगत खदान बंगवार को 5 स्टार रेटिंग से नवाजा गया है। बंगवार अंडरग्राउंड माइंस को 93 अंक मिले हैं। यह माइंस सोहागपुर एरिया (मध्यप्रदेश) के अंतर्गत है। देशभर में केवल 6 भूमिगत खदानों को ही 5 स्टार रेटिंग मिली है। इनमें अंक के आधार पर बंगवार खदान चौथे स्थान पर है।

एसईसीएल की कुल 40 भूमिगत खदानें हैं, जो स्टार रेटिंग के लिए सूचीबद्ध हुईं हैं। इनमें एक खदान को 5 स्टार, 11 को 4 स्टार, 26 को 3 स्टार एवं 2 माइंस को 2 स्टार रेटिंग प्रदान की गई है।

वन विभाग पर लग रहा मिलीभगत का आरोप: 

बंगवार कोयला खदान में एसईसीएल ने खदान से कोयला खनन की सारी सीमाएं लांघ दी है। आनन-फानन में कई किलोमीटर तक कोयला उत्पादन के और लक्ष्य प्राप्ति के लिए खदान की सीमा से वन विभाग की हद में जाकर खनन करने का आरोप है। जिसके लिए पहले वन विभाग की अनुमति बनाम एनओसी लेना आवश्यक है। लेकिन एसईसीएल ने ऐसा नहीं किया तो वहीँ वन विभाग के अधिकारीयों भी इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। जबकि खनन के समय वन विभाग के अधिकारियों द्वारा समय -समय पर निरिक्षण कर सत्यापन भी किया जाता है।

बताया जाता है कि वन विभाग के कर्मी भी जंगल में ड्यूटी पर तैनात होने से डर रहे हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि वन विभाग कर्मचारी इन वन क्षेत्र के रेंज में तैनात नहीं रहते. जिसके कारण कोयला उत्खनन नियमित निगरानी नहीं की जाती। इससे वन विभाग को राजस्व की हानि हो रही है. साथ ही इलाके में वनों और वनभूमि को नुकसान पहुंच रहा है।

सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं देते अधिकारी:

इतना ही नहीं सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर अधिकारी ने अड़ियल रवैया अपनाते हुए आवेदक को जानकारी नहीं देते है। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक को जानकारी नहीं दिए जाने के कारण अधिकारी जन सूचना अधिकारी को पच्चीस पच्चीस हजार का जुर्माना लगा सकता है।

AGM बने बेस्ट AGM

इधर कोल इंडिया के 50 वें स्थापना दिवस के अवसर पर एसईसीएल के एरिया मेनेजर पी. कृष्णा को बेस्ट एरिया जनरल मेनेजर के अवार्ड से नवाजा गया। उन्होंने ये उपलब्धि के लिए अपने कर्मचारियों को समर्पित की। बता दे ये अवार्ड उन्हें बंगवार कोयला खनन के बाद ही मिला है। इस खनन में उन्होंने उत्पादन का लक्ष्य से अधिक प्रोडक्शन हासिल किया है। जिसमें एक बड़े कोयला खनन कार्य को बिना वन विभाग की एनओसी के ही अंजाम दे दिया गया है। ऐसा एरिया में चर्चा है।

इनका कहना है :

हम समय-समय निरिक्षण करते हैं। ऐसी कोई बात नहीं है- सलीम खान, रेंजर, बुढ़ार

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